श्रापित आइलैंड मिलफोर्ड जिस पर आज तक कोई नहीं रह पाया

शापित आई लैंड के नाम से मिलफोर्ड का यह आईलैंड मसहूर है। इस आइलैंड का नाम समुद्री डाकू और शाप तथा आत्माओं से जुड़ा हुआ है। रात के अंदर यह जगह पूरी तरह से विरान हो जाती है। यहां दूर दूर तक कोई इंसान नहीं दिखाई देता है।

‌‌‌यह द्विप अंग्रेजों के द्वारा सन 1939 ई के अंदर अधिग्रहण कर लिया गया था । तब इस द्विप के उपर Wepaowag के मूल निवासियों को घेर लिया गया । उसके बाद Wepaowag के चीफ को ऐसा विश्वास था कि इस द्विप को आत्माओं ने बसाया हुआ मानकर ।‌‌‌उसके बाद उन्होने अंग्रेजों को शाप दिया कि इस द्विप पर वे भी नहीं रह सकेंगे । इस शाप के बाद से अनेक लोगों ने इस द्विप पर रहनें की कोशिश की किंतु कामयाब नहीं हो सके।

milford

 

चार्ल्स डील ने 1657 में इस द्वीप को खरीदा था। इसे पहले मिलफोर्ड द्वीप के नाम से जाना जाता था। चार्ल्स ने जमीन के छोटे पैच पर तम्बाकू बागान शुरू करने का प्रयास किया और यह पूरी तरह से विफल हो गया। बाद में उन्होंने थोड़ी देर के द्वीप को छोड़ दिया

16 99 के आसपास, प्रसिद्ध समुद्री डाकू कप्तान विलियम किड बोस्टन जाने के रास्ते में लांग आईलैंड के माध्यम से रवाना हुए। यह अफवाह थी कि वह सुरक्षित रखने के लिए अपने कुछ खजाने को दफनाने के रास्ते में विभिन्न द्वीपों में बंद कर दिया। ऐसा माना जाता है। कि यह द्विप उसके लिए छुपने का अच्छा साधन था ।

बाद में उन्हें बोस्टन में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अपने खजाने के बारे मे उसने किसी को नहीं बताया था ।

 

1721 में, नाविकों का एक बैंड मैक्सिकन शासक ग्वात्मोज़िन ने भी यहां पर खजाना छिपाया था । लेकिन खजाने को छिपाने के बाद वह उसको लेने कभी वापस नहीं आया था ।

1835, जॉन हैरिस ने इस द्वीप पर एक निवास स्थापित करने का प्रयास किया। उसके बाद वह जल्द ही मर गया और इसके बाद उसके घर में कई लोग द्वीप पर रहते थे। लेकिन कुछ समय बाद ही उनको यह द्विप कुछ कारणों की वजह से छोड़ना पड़ा था ।

1850 में, यह माना जाता है कि विलियम्स किड के खोए खज़ाने की तलाश में थे और उनको खजाना मिल भी गया था । लेकिन एक जलते हुए भूत ने उनका बहुत देर तक पीछा किया और उनकों द्विप के बाहर धकेल दिया ।

1852 में, इस द्वीप को एलिज़ुर प्रीचार्ड ने अधिग्रहण कर लिया था, और पंद्रह सालों तक इस द्विप का प्रयोग मछली से बने विनिर्माण सुविधा के लिए खरीदा गया । लेकिन जल्दी ही इस काम को बंद करना पड़ा और द्विप एक बार फिर खाली हो गया ।

1 9 30 के आसपास भिक्षुओं के एक समूह ने एक्विनास रिट्रीट की स्थापना की, पूरे द्वीप में इमारतों, रास्ते और मंदिरों के एक जटिल भवन का निर्माण किया गया था । लेकिन अब यह द्विप फिर पूरी तरह से विरान हो चुका है। यहां पर अब बस ईमारतों के खंडर मात्र ही रहे हैं। कुछ लोग यह मानते हैं कि इस द्विप पर लोगों ‌‌‌के साथ कुछ अजीब होता है जोकि लोगों को इस द्विप पर रहने से दूर कर रहा है।

वहीं कुछ लोगों ने इस द्विप पर आत्माओं को देखे जाने के दावे भी किये हैं। कुछ लोगों ने यहां पर दिन के अंदर भी जलती हुई आत्माएं देखी हैं। वहीं लोगों का मानना है कि यह आत्माएं शाप से जुड़ी हुई हैं और वे इस शाप को आगे तक ‌‌‌लेकर जा रही हैं। कई लोगों ने यहां पर आवाजे सुने जाने के दावे भी किये हैं। लेकिन हकिकत यही है कि इतने प्रयासों के बाद भी यह द्विप आज भी विरान है। इसकी एक ही वजह है कि यह द्विप शापित है।

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arif khan

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