बुद्वि को प्रभावित करने वाले कारक

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों और विद्वानों के द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि विभिन्न मानसिक ताकतों का योग फल बुद्धि होता है। बुद्धि का निर्धारण कैसे होता है। इस बात पर विवाद है कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि इसका निर्धारण जन्मजात होता है।

बुद्वि को प्रभावित करने वाले कारक

‌‌‌जबकि कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि इसका निर्धारण वातावरणों से होता है। हालांकि बुद्वि के निर्धारण के अंदर दोनों ही कारको की भूमिका होती है।‌‌‌लेकिन अनेक शोधों के अंदर वैज्ञानिकों ने यह साबित करने का प्रयास भी किया है कि बुद्वि केवल वातावरण से निर्धारित होती है। कुछ मनोवैज्ञानिकों ने एक इंसानी बच्चे को उसके माता पिता से अलग करके बंदरों के साथ पाला तो जब बच्चा बड़ा हुआ तो वह बंदरों की तरह ही पेड़ों पर चढ़ने लगा ।उसका दिमाग ‌‌‌भी पूरी तरह से बंदरों जैसा ही होगया । इसी तरह के कुछ प्रयोग जन्मजात प्रभावों की वजह से बुद्वि के निर्धारण पर भी हुए हैं। जोकि यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि बुद्वि का निर्धारण जन्म से ही होता है।

बुद्धि को प्रभावित करने वाले कारक

‌‌‌इंसान की बुद्धि को प्रभावित करने वाले कारकों की बात करें तो कई सारे ऐसे कारक हैं जोकि बुद्धि को प्रभावित करते हैं। नीचे इन कारकों के बारे मे दिया जा रहा है।जो मुख्य रूप से कॉमन हैं।

बुद्धि को प्रभावित करता है वंशानुक्रम

वैज्ञानिकों द्वारा किये गए अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि किसी व्यक्ति की बुद्वि वैसी ही होती है। जैसी की उसके मातापिता की बुद्वि होती है। यानि जिन व्यक्तियों के अंदर आपस मे खून का रिश्ता पाया जाता है। उनकी बुद्वि के अंदर काफी ‌‌‌समांनता होती है।सो बुद्वि को वंशानुक्रम काफी प्रभावित करता है।‌‌‌वंशानुक्रम पर अनेक वैज्ञानिक प्रयोग किये जा चुके हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने वंशानक्रम पर बुद्वि के प्रभाव को समझने के लिए चूहों पर प्रयोग किया । वैज्ञानिकों ने एक कुंड के अंदर चूहों को पानी के अंदर डाल दिया और उस कुंड के एक तरफ बाहर निकलने का रस्ता छोड़ दिया । पहली पीढी के चूहों को रस्ता ‌‌‌खोजने मे काफी समय लगा लेकिन जैसे जैसे पीढिया बीतने लगी चूहों को रस्ता खोजने मे लगने वाला समय कम हो गया । यानि वंशानुक्रम बुद्वि को प्रभावित करता है।

‌‌‌लिंग भेद

प्रत्येक व्यक्ति के अंदर मानसिक ताकते अलग अलग पाई जाती हैं। कुछ मानसिक ताकते ऐसी होती हैं जोकि लड़कों के अंदर कम लड़कियों के अंदर अधिक पाई जाती हैं। कुछ मनोवैज्ञानिकों द्वारा किये गए प्रयोगों के अनुसार लड़कियां अमूर्त चिंतन धारा प्रवाह एंव रटने की प्रव्रति मे अधिक अच्छी ‌‌‌होती हैं।

12 वर्ष की आयु तक लड़के और लड़की की बुद्वि के अंदर कोई अंतर नहीं पाया जाता है। किंतु इसके बाद दोनों की बुद्वि मे अंतर आ जाता है। लिंग भेद पर बुद्धि से जुड़े अश्ययन डॅब्सन मेयर आदि मनौवैज्ञानिकों ने किये हैं।‌‌‌वहीं कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि महिला छोटे कामों को बहुत ही अच्छे ढंग से कर सकती हैं।खास कर सिलाई कढाई के कामों को । वहीं महिलाओं के दिमाग का कुछ हिस्सा काफी ज्यादा एक्टीव होता है। जबकि पूरूषों का दिमाग महिलाओं की तुलना मे कुछ मामलों के अंदर भिन्न होता है।

‌‌‌परिवार का आकार

कुछ परिवार बड़े होते हैं तो कुछ छोटे होते हैं। मनौवेज्ञानिकों द्वारा किये गए अध्ययनों मे यह साबित हुआ है कि बड़े परिवार के बच्चो के अंदर बुद्धि कम पाई जाती है। जबकि छोटे परिवार के बच्चों के अंदर अधिक बुद्धि पाई जाती है। प्रसिद्व मनौवेज्ञानिक वाल्मोट ने इसको प्रमाणित किया है

‌‌‌जन्म क्रम

मनौवेज्ञानिकों के अनुसार परिवार के अंदर जो बच्चे पहले जन्म लेंगे उनकी बुद्वि अधिक होती है। जबकि जो बाद मे जन्म लेते हैं उनकी बुद्धि कम होती है। इसका कारण भी है। जो बच्चे पहले पैदा होते हैं। उनका लाड़ प्यार अधिक रखा जाता है। इसके विपरित जो बच्चे बाद मैं पैदा होते हैं। ‌‌‌उनपर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है। जिसकी वजह से उनकी बुद्धि का अच्छा विकास नहीं हो पाता है।

‌‌‌पेशा

पेशा भी बुद्वि को प्रभावित करता है। इसका अध्ययन हैरेल ने 1954 के अंदर किया था। उसने अलग अलग पेशा वाले व्यक्तियों का समूह बनाकर बुद्धि परिक्षण किया ।तो पाया कि लेखपाल के अंदर सबसे अधिक बुद्वि पाई गयी ।जबकि खनिक के अंदर सबसे कम बुद्वि पाई गई। ‌‌‌जबकि अन्य व्यवसायीयों के अंदर अलग अलग बुद्धि पाई गयी ।

‌‌‌पेशे के संबंध मे भी अनेक अध्ययन किये जा चुके हैं। और आप भी देखते होगें कि जिन लोगों का संबंध अच्छे घरों से होता है उनके बच्चे भी अच्छे होते हैं। और जिन लोगों का संबधं बुरे घरों से होता है। उनके बच्चे भी गलत काम करते हुए पकड़े जाते हैं।हालांकि हमेशा ऐसा नहीं होता ‌‌‌है। कई बार अच्छे घरों के लड़के भी बुरे काम करते देखे जाते हैं। किंतु ऐसा कम ही होता है।

‌‌‌आयु

आयु पर भी व्यक्ति की बुद्वि का प्रभाव पड़ता है। जैसे जैसे बालक का विकास होता जाता है। उसकी बुद्वि बढ़ती जाती है। किंतु एक निश्चित आयु के बाद उसकी बुद्वि का विकास होना बंद होजाता है। 20 साल तक एक व्यक्ति बुद्वि प्राप्तांक औसत होता है। और 24 वर्ष की आयु के बाद प्राप्तांक कम होने ‌‌‌लगता है।

‌‌‌बुद्धि को प्रभावित करता है वातावरण

व्यक्ति के बुद्धि के विकास के अंदर वातावरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह इंसान की बुद्वि पर गहरा प्रभाव डालता है। क्योंकि व्यक्ति जिस प्रकार के वातावरण के अंदर रहता है। उसकी बुद्वि उसी प्रकार की हो जाती है।‌‌‌जैसे कोई व्यक्ति किसी खराब वातावरण के अंदर रहता है तो उसकी बुद्वि का विकास रूक जाता है। जबकि कोई व्यक्ति अच्छे वातावरण के अंदर रहकर कुछ सीखता है तो उसकी बुद्वि का विकास तेजी से होता है।‌‌‌वातावरण बुद्धि को बहुत अधिक प्रभावित करता है। व्यक्ति जैसे माहोल के अंदर रहता है। उसकी बुद्धि वैसी ही हो जाती है। यदि कोई व्यक्ति चारों के पास रहता है तो उसका असर उसके दिमाग पर पड़ता ही है।

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arif khan

‌‌‌हैलो फ्रेंड मेरा नाम arif khan है और मुझे लिखना सबसे अधिक पसंद है। इस ब्लॉग पर मैं अपने विचार शैयर करता हूं । यदि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगता है तो कमेंट करें और अपने फ्रेंड के साथ शैयर करें ।‌‌‌मैंने आज से लगभग 10 साल पहले लिखना शूरू किया था। अब रोजाना लिखता रहता हूं । ‌‌‌असल मे मैं अधिकतर जनरल विषयों पर लिखना पसंद करता हूं। और अधिकतर न्यूज और सामान्य विषयों के बारे मे लिखता हूं ।